करवा चौथ व्रत की कथा | Karwa Chauth Vrat Ki Katha
करवा चौथ व्रत की कथा करवा चौथ का व्रत हिन्दु सुहागिन महिलाओं के लिए एक त्यौहार के समान होता है, जो हिन्दु पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती है तथा शाम को सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं तथा अपने सुहाग की लम्बी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन पूजा करने के साथ यहां दी गई कथा का पाठ भी अवश्य करना चाहिए, तभी यह व्रत पूर्ण माना जाता है। करवा चौथ व्रत की कथा एक साहूकार था उसके सात लड़के और एक लड़की थी। सभी लड़के शादी सुदा थे। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी ने करवा चौथ का व्रत रखा तो उसकी सातों बहुओं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रख लिया। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने को कहा। इस पर उसकी बहन बोली भैया अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं