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मार्च, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राम जी के भजन | Ram Bhajan | Shree Ram Bhajan

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राम जी के भजन राम का नाम लेते-लेते मेरी उमरिया बीती जाए राम का नाम लेते-लेते, मेरी उमरिया बीती जाए, हे प्रभु! आप कब मिलेंगे, अब तो दर्शन दीजिए। हर सुबह हर शाम पुकारूं, तेरी राहों में मैं निहारूं। मन में आस जगी है प्यारे, कब आओगे मुरारी? भक्ति में जीवन बिता दिया, अब तो दर्शन दीजिए। राम का नाम लेते-लेते, मेरी उमरिया बीती जाए… मंदिर-मंदिर दीप जलाए, हर गली हर द्वार बुलाए। भजन गाकर, ध्यान लगाकर, तेरी महिमा गाए। अब तो आओ हे कृपालु, मुझको दर्शन दीजिए। राम का नाम लेते-लेते, मेरी उमरिया बीती जाए… तेरी लीला अपरंपार, संत-जन भी कहें बार-बार। जो भी तेरा नाम पुकारे, उसका हो उद्धार। मैं भी तेरा दास प्रभु, अब तो कृपा दीजिए। राम का नाम लेते-लेते, मेरी उमरि...

दशामाता व्रत की कथा || Dasha Mata Vrat Katha

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दशामाता व्रत की कथा दशामाता व्रत की शुरुआत श्रावण शुक्ल पक्ष के पहले दिन से होती है। दशामाता का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने घर की दशा सुधारने और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से घर की दशा में सुधार होता है, दरिद्रता दूर होती है, और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। इस दिन महिलाएं दशा माता की पूजा करती हैं, पीपल वृक्ष की परिक्रमा करती हैं, और दशा माता का डोरा गले में धारण करती हैं। दशामाता व्रत की कथा - 1 एक साहूकार था, उसके परिवार में पांच बेटे, उनकी बहुएं और एक बेटी थी। बेटी विवाहित थी लेकिन अभी तक उसका गोना नहीं हुआ था, इसलिए वह भी अपने माता-पिता के साथ ही रहती थी। एक दिन साहूकार की पत्नी अपने लिए दशामाता का डोरा ले रही थी तो उसकी बहुओं ने भी डोरे ले लिए और उन्होंने अपनी सास से पूछा कि क्या दीदी के लिए भी डोरा लेना है तो सास ने तुरंत ही कह दिया कि हाँ उसके लिए भी डोरा लेना है। इस पर बहुओं ने कहा कि माँजी दीदी की तो कुछ दिनों में विदाई होने वाली है...