श्री कुंजबिहारी पचासा | श्री बाँकेबिहारी पचासा | Kunj Bihari Pachasa | Banke Bihari Pachasa
दोहा
- बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल।
- स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल॥
चौपाई
- जै जै जै श्री बाँकेबिहारी।
- हम आये हैं शरण तिहारी॥
- स्वामी श्री हरिदास के प्यारे।
- भक्तजनन के नित रखवारे॥
- श्याम स्वरूप मधुर मुसिकाते।
- बड़े-बड़े नैन नेह बरसाते॥
- पटका पाग पीताम्बर शोभा।
- सिर सिरपेच देख मन लोभा॥
- तिरछी पाग मोती लर बाँकी।
- सीस टिपारे सुन्दर झाँकी॥
- मोर पाँख की लटक निराली।
- कानन कुण्डल लट घुँघराली॥
- नथ बुलाक पै तन-मन वारी।
- मंद हसन लागै अति प्यारी॥
- तिरछी ग्रीव कण्ठ मनि माला।
- उर पै गुंजा हार रसाला॥
- काँधे साजे सुन्दर पटका।
- गोटा किरन मोतिन के लटका॥
- भुज में पहिर अँगरखा झीनौ।
- कटि काछनी अंग ढक लीनौ॥
- कमर-बांध की लटकन न्यारी।
- चरन छुपाये श्री बाँकेबिहारी॥
- इकलाई पीछे ते आई।
- दूनी शोभा दई बढाई॥
- गद्दी सेवा पास बिराजै।
- श्री हरिदास छवी अतिराजै॥
- घंटी बाजे बजत न आगै।
- झाँकी परदा पुनि-पुनि लागै॥
- सोने-चाँदी के सिंहासन।
- छत्र लगी मोती की लटकन॥
- बांके तिरछे सुधर पुजारी।
- तिनकी हू छवि लागे प्यारी॥
- अतर फुलेल लगाय सिहावैं।
- गुलाब जल केशर बरसावै॥
- दूध-भात नित भोग लगावैं।
- छप्पन-भोग भोग में आवैं॥
- मगसिर सुदी पंचमी आई।
- सो बिहार पंचमी कहाई॥
- आई बिहार पंचमी जबते।
- आनन्द उत्सव होवैं तबते॥
- बसन्त पाँचे साज बसन्ती।
- लगै गुलाल पोशाक बसन्ती॥
- होली उत्सव रंग बरसावै।
- उड़त गुलाल कुमकुमा लावैं॥
- फूल डोल बैठे पिय प्यारी।
- कुंज विहारिन कुंज बिहारी॥
- जुगल सरूप एक मूरत में।
- लखौ बिहारी जी मूरत में॥
- श्याम सरूप हैं बाँकेबिहारी।
- अंग चमक श्री राधा प्यारी॥
- डोल-एकादशी डोल सजावैं।
- फूल फल छवी चमकावैं॥
- अखैतीज पै चरन दिखावैं।
- दूर-दूर के प्रेमी आवैं॥
- गर्मिन भर फूलन के बँगला।
- पटका हार फुलन के झँगला॥
- शीतल भोग, फुहारें चलते।
- गोटा के पंखा नित झूलते॥
- हरियाली तीजन का झूला।
- बड़ी भीड़ प्रेमी मन फूला॥
- जन्माष्टमी मंगला आरती।
- सखी मुदित निज तन-मन वारति॥
- नन्द महोत्सव भीड़ अटूट।
- सवा प्रहार कंचन की लूट॥
- ललिता छठ उत्सव सुखकारी।
- राधा अष्टमी की चाव सवारी॥
- शरद चाँदनी मुकट धरावैं।
- मुरलीधर के दर्शन पावैं॥
- दीप दीवारी हटरी दर्शन।
- निरखत सुख पावै प्रेमी मन॥
- मन्दिर होते उत्सव नित-नित।
- जीवन सफल करें प्रेमी चित॥
- जो कोई तुम्हें प्रेम ते ध्यावें।
- सोई सुख वांछित फल पावैं॥
- तुम हो दिनबन्धु ब्रज-नायक।
- मैं हूँ दीन सुनो सुखदायक॥
- मैं आया तेरे द्वार भिखारी।
- कृपा करो श्री बाँकेबिहारी॥
- दिन दुःखी संकट हरते।
- भक्तन पै अनुकम्पा करते॥
- मैं हूँ सेवक नाथ तुम्हारो।
- बालक के अपराध बिसारो॥
- मोकूँ जग संकट ने घेरौ।
- तुम बिन कौन हरै दुख मेरौ॥
- विपदा ते प्रभु आप बचाऔ।
- कृपा करो मोकूँ अपनाऔ॥
- श्री अज्ञान मंद-मति भारि।
- दया करो श्रीबाँकेबिहारी॥
- बाँकेबिहारी विनय पचासा।
- नित्य पढ़ै पावे निज आसा॥
- पढ़ै भाव ते नित प्रति गावैं।
- दुख दरिद्रता निकट नही आवैं॥
- धन परिवार बढैं व्यापारा।
- सहज होय भव सागर पारा॥
- कलयुग के ठाकुर रंग राते।
- दूर-दूर के प्रेमी आते॥
- दर्शन कर निज हृदय सिहाते।
- अष्ट-सिध्दि नव निधि सुख पाते॥
- मेरे सब दुख हरो दयाला।
- दूर करो माया जंजाल॥
- दया करो मोकूँ अपनाऔ।
- कृपा बिन्दु मन में बरसाऔ॥
दोहा
- ऐसी मन कर देउ मैं, निरखूँ श्याम-श्याम।
- प्रेम बिन्दु दृग ते झरें, वृन्दावन विश्राम॥
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