श्री सन्तोषी माता चालीसा | Santoshi mata chalisa
- जय सन्तोषी मात अनूपम।
- शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥
- सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा।
- वेश मनोहर ललित अनुपा॥
- श्वेताम्बर रूप मनहारी।
- माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी॥
- दिव्य स्वरूपा आयत लोचन।
- दर्शन से हो संकट मोचन॥
- जय गणेश की सुता भवानी।
- रिद्धि-सिद्धि की पुत्री ज्ञानी॥
- अगम अगोचर तुम्हरी माया।
- सब पर करो कृपा की छाया॥
- नाम अनेक तुम्हारे माता।
- अखिल विश्व है तुमको ध्याता॥
- तुमने रूप अनेकों धारे।
- को कहि सके चरित्र तुम्हारे॥
- धाम अनेक कहाँ तक कहिये।
- सुमिरन तब करके सुख लहिये॥
- विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी।
- कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी॥
- कलकत्ते में तू ही काली।
- दुष्ट नाशिनी महाकराली॥
- सम्बल पुर बहुचरा कहाती।
- भक्तजनों का दुःख मिटाती॥
- ज्वाला जी में ज्वाला देवी।
- पूजत नित्य भक्त जन सेवी॥
- नगर बम्बई की महारानी।
- महा लक्ष्मी तुम कल्याणी॥
- मदुरा में मीनाक्षी तुम हो।
- सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो॥
- राजनगर में तुम जगदम्बे।
- बनी भद्रकाली तुम अम्बे॥
- पावागढ़ में दुर्गा माता।
- अखिल विश्व तेरा यश गाता॥
- काशी पुराधीश्वरी माता।
- अन्नपूर्णा नाम सुहाता॥
- सर्वानन्द करो कल्याणी।
- तुम्हीं शारदा अमृत वाणी॥
- तुम्हरी महिमा जल में थल में।
- दुःख दारिद्र सब मेटो पल में॥
- जेते ऋषि और मुनीशा।
- नारद देव और देवेशा॥
- इस जगती के नर और नारी।
- ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी॥
- जापर कृपा तुम्हारी होती।
- वह पाता भक्ति का मोती॥
- दुःख दारिद्र संकट मिट जाता।
- ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता॥
- जो जन तुम्हरी महिमा गावै।
- ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै॥
- जो मन राखे शुद्ध भावना।
- ताकी पूरण करो कामना॥
- कुमति निवारि सुमति की दात्री।
- जयति जयति माता जगधात्री॥
- शुक्रवार का दिवस सुहावन।
- जो व्रत करे तुम्हारा पावन॥
- गुड़ छोले का भोग लगावै।
- कथा तुम्हारी सुने सुनावै॥
- विधिवत पूजा करे तुम्हारी।
- फिर प्रसाद पावे शुभकारी॥
- शक्ति-सामरथ हो जो धनको।
- दान-दक्षिणा दे विप्रन को॥
- वे जगती के नर औ नारी।
- मनवांछित फल पावें भारी॥
- जो जन शरण तुम्हारी जावे।
- सो निश्चय भव से तर जावे॥
- तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे।
- निश्चय मनवांछित वर पावै॥
- सधवा पूजा करे तुम्हारी।
- अमर सुहागिन हो वह नारी॥
- विधवा धर के ध्यान तुम्हारा।
- भवसागर से उतरे पारा॥
- जयति जयति जय सन्कट हरणी।
- विघ्न विनाशन मंगल करनी॥
- हम पर संकट है अति भारी।
- वेगि खबर लो मात हमारी॥
- निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता।
- देह भक्ति वर हम को माता॥
- यह चालीसा जो नित गावे।
- सो भवसागर से तर जावे॥
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